रिलेशनल डाटाबेस स्कीमा
रिलेशनल डाटाबेस स्कीमा
एक रिलेशनल डाटाबेस, रिलेशन्स की संख्या से बना हुआ हो सकता है। डाटाबेस के स्ट्रक्चर का निरूपण कॉन्सेप्चुअल स्कीमा के उपयोग द्वारा किया जाता है जो डाटाबेस के पूर्ण लॉजिकल स्ट्रक्चर का वर्णन है। एक कॉन्सेप्चुअल स्कीमा को व्यक्त करने की सामान्य विधियाँ निम्न हैं-
अ. शॉर्ट टेक्स्ट स्टेटमेंट, जिनमें प्रत्येक रिलेशन का नाम होता है और इसके एट्रीब्यूट्स का नाम कोष्ठक में बाद में लिखा जाता है।
ब. एक ग्राफिकल प्रस्तुति जिसमें प्रत्येक रिलेशन को एक आयत द्वारा दर्शाया जाता है, जिसमें रिलेशन के एट्रीब्यूट होते हैं।

रिलेशनल कन्स्ट्रैन्ट्स और की
एक रिलेशन में, एक डाटा की पंक्ति को, उस पंक्ति में स्टोर की जा चुकी डाटावेल्यूज के आधार पर रिट्राइव करने की क्षमता होनी चाहिए। टेबल में अंडरलाइन किया गया एट्रीब्यूट उस पंक्ति को अद्वितिय रूप से पहचानता है। ये एट्रीब्यूट की कहलाता है। एट्रीब्यूट का कोई समूह, जो रिलेशन में हर ट्यूपल को अद्वितिय रूप से पहचानता(identify) है, उसे सुपर की कहा जाता है। एक कंपोजिट की वह प्राइमरी की है जो एक से अधिक एट्रीब्यूट से बनी है। फॉरेन की डाटाबेस में वह रिलेशन है जो उसी डाटाबेस में अन्य रिलेशन की प्राइमरी की(key) की तरह काम करता है। फॉरेन की का प्रयोग दो सारणियों और रिलेशन्स के बीच संबंधों को दर्शाता है। कन्स्ट्रैन्ट्स वह नियम है, जो उन वेल्यूस को सीमित करता है जो डाटाबेस में उपस्थित हो सकती है। कॉड्स के रिलेशनल डाटा मॉडल में ऐसे कन्स्ट्रैन्ट्स शामिल हैं जो डाटाबेस में डाटा की मान्यता को जांचने के लिए उपयोग किये जाते हैं। कन्स्ट्रैन्ट्स तीन प्रकार के होते हैं-
-एंटीटी इंटीग्रीटी
-रिफ्रेन्शियल इंटीग्रीटी
-फंक्शनल डिपेंडेंसी
एक रिलेशनल डाटाबेस, रिलेशन्स की संख्या से बना हुआ हो सकता है। डाटाबेस के स्ट्रक्चर का निरूपण कॉन्सेप्चुअल स्कीमा के उपयोग द्वारा किया जाता है जो डाटाबेस के पूर्ण लॉजिकल स्ट्रक्चर का वर्णन है। एक कॉन्सेप्चुअल स्कीमा को व्यक्त करने की सामान्य विधियाँ निम्न हैं-
अ. शॉर्ट टेक्स्ट स्टेटमेंट, जिनमें प्रत्येक रिलेशन का नाम होता है और इसके एट्रीब्यूट्स का नाम कोष्ठक में बाद में लिखा जाता है।
ब. एक ग्राफिकल प्रस्तुति जिसमें प्रत्येक रिलेशन को एक आयत द्वारा दर्शाया जाता है, जिसमें रिलेशन के एट्रीब्यूट होते हैं।
रिलेशनल कन्स्ट्रैन्ट्स और की
एक रिलेशन में, एक डाटा की पंक्ति को, उस पंक्ति में स्टोर की जा चुकी डाटावेल्यूज के आधार पर रिट्राइव करने की क्षमता होनी चाहिए। टेबल में अंडरलाइन किया गया एट्रीब्यूट उस पंक्ति को अद्वितिय रूप से पहचानता है। ये एट्रीब्यूट की कहलाता है। एट्रीब्यूट का कोई समूह, जो रिलेशन में हर ट्यूपल को अद्वितिय रूप से पहचानता(identify) है, उसे सुपर की कहा जाता है। एक कंपोजिट की वह प्राइमरी की है जो एक से अधिक एट्रीब्यूट से बनी है। फॉरेन की डाटाबेस में वह रिलेशन है जो उसी डाटाबेस में अन्य रिलेशन की प्राइमरी की(key) की तरह काम करता है। फॉरेन की का प्रयोग दो सारणियों और रिलेशन्स के बीच संबंधों को दर्शाता है। कन्स्ट्रैन्ट्स वह नियम है, जो उन वेल्यूस को सीमित करता है जो डाटाबेस में उपस्थित हो सकती है। कॉड्स के रिलेशनल डाटा मॉडल में ऐसे कन्स्ट्रैन्ट्स शामिल हैं जो डाटाबेस में डाटा की मान्यता को जांचने के लिए उपयोग किये जाते हैं। कन्स्ट्रैन्ट्स तीन प्रकार के होते हैं-
-एंटीटी इंटीग्रीटी
-रिफ्रेन्शियल इंटीग्रीटी
-फंक्शनल डिपेंडेंसी

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