फाईल ऑर्गेनाइजेशन
फाईल ऑर्गेनाइजेशन
एक फाईल को तर्कसंगत तरीके से रिकॉर्ड्स के एक क्रम की तरह संगठित किया जाता है। इन रिकॉर्ड्स को डिस्क ब्लॉक्स में स्टोर किया जाता है। एक फाईल में डाटाबेस स्टोर करने के कई तरीकें हैं। एक तकनीक है- अनेक फाईलों का उपयोग करना और इनमें से दी गयी किसी एक फाईल में केवल एक ही लम्बाई के रिसॉर्ड्स को स्टोर करना। अन्य तकनीक है- एक फाईल को इस प्रकार स्ट्रक्चर करना कि हम मल्टीपल लेन्थ रिकॉर्ड स्टोर कर सकें।
फाईल में रिकॉर्ड्स का संगठन
हम रिकॉर्ड्स को फाईल में कई तरह से ऑर्गेनाइज़ कर सकते हैं-
हम रिकॉर्ड्स को फाईल में कई तरह से ऑर्गेनाइज़ कर सकते हैं-
1.हीप फाईल ऑर्गेनाइजेशन-
इस ऑर्गेनाइजेशन के अन्तर्गत कोई भी रिकॉर्ड फाईल में कहीं भी, जहाँ जगह हो, वहाँ रखा जा सकता है। यहाँ अभिलेखों का कोई क्रम नहीं होता, हर रिलेशन के लिए सिंगल फाईल होती है।
इस ऑर्गेनाइजेशन के अन्तर्गत कोई भी रिकॉर्ड फाईल में कहीं भी, जहाँ जगह हो, वहाँ रखा जा सकता है। यहाँ अभिलेखों का कोई क्रम नहीं होता, हर रिलेशन के लिए सिंगल फाईल होती है।
2.सिक्वेन्शियल फाईल ऑर्गेनाइजेशन-
इस फाईल ऑर्गेनाइजेशन में रिकॉर्ड्स को सिक्वेन्शियल क्रम में स्टोर किया जाता है, यह हर रिकॉर्ड की सर्च की वेल्यू पर आधारित होता है।
इस फाईल ऑर्गेनाइजेशन में रिकॉर्ड्स को सिक्वेन्शियल क्रम में स्टोर किया जाता है, यह हर रिकॉर्ड की सर्च की वेल्यू पर आधारित होता है।
3.हैशिंग फाईल ऑर्गेनाइजेशन-
इस फाईल ऑर्गेनाइजेशन में हर रिकॉर्ड के कुछ एट्रीब्यूट पर, एक हैश फंक्शन कम्प्यूट किया जाता है। इस हैश फंक्शन का परिणाम ब्लॉक में वह ब्लॉक निर्धारित करता है, जहाँ रिकॉर्ड फाईल रखा जाना है।
इस फाईल ऑर्गेनाइजेशन में हर रिकॉर्ड के कुछ एट्रीब्यूट पर, एक हैश फंक्शन कम्प्यूट किया जाता है। इस हैश फंक्शन का परिणाम ब्लॉक में वह ब्लॉक निर्धारित करता है, जहाँ रिकॉर्ड फाईल रखा जाना है।
4.क्लस्टरिंग फाईल ऑर्गेनाइजेशन-
इस फाईल ऑर्गेनाइजेशन में अनेक अलग-अलग रिलेशन्स के रिकॉर्ड्स एक ही फाईल पर स्टोर किये जा सकते हैं।
इस फाईल ऑर्गेनाइजेशन में अनेक अलग-अलग रिलेशन्स के रिकॉर्ड्स एक ही फाईल पर स्टोर किये जा सकते हैं।
डाटा डिक्शनरी स्टोरेज
एक रिलेश्नल डाटाबेस सिस्टम को ऐसे रिलेशन्स के बारे में डाटा मेण्टेन करना होता है- जैसे रिलेशन्स का स्कीमा, इस जानकारी को डाटा डिक्शनरी कहते हैं। सिस्टम में स्टोर जानकारी निम्न हैं-
-रिलेशन्स के नाम
-प्रत्येक रिलेशन के एट्रीब्यूट के नाम
-एट्रीब्यूट्स की डोमेन और लंबाई़
-डाटाबेस पर डिफाइण्ड व्यूस के नाम और इन व्यूस की परिभाषाएं
-इणटीग्रीटी कन्सट्रेण्ट्स
एक रिलेश्नल डाटाबेस सिस्टम को ऐसे रिलेशन्स के बारे में डाटा मेण्टेन करना होता है- जैसे रिलेशन्स का स्कीमा, इस जानकारी को डाटा डिक्शनरी कहते हैं। सिस्टम में स्टोर जानकारी निम्न हैं-
-रिलेशन्स के नाम
-प्रत्येक रिलेशन के एट्रीब्यूट के नाम
-एट्रीब्यूट्स की डोमेन और लंबाई़
-डाटाबेस पर डिफाइण्ड व्यूस के नाम और इन व्यूस की परिभाषाएं
-इणटीग्रीटी कन्सट्रेण्ट्स
इण्डैक्सिंग और हैशिंग
सिस्टम में एक फाईल के लिए इम्डेक्स ठीक उसी तरह कार्य करता है, जैसे लाइब्रेरी में किसी बुक के लिए केटलॉग। मूलतः दो प्रकार की इण्डैक्सिंग होती है-
सिस्टम में एक फाईल के लिए इम्डेक्स ठीक उसी तरह कार्य करता है, जैसे लाइब्रेरी में किसी बुक के लिए केटलॉग। मूलतः दो प्रकार की इण्डैक्सिंग होती है-
1.ऑडर्ड इन्डिसिस-
ऐसी इन्डिसिस, वेल्यू की सॉर्टेड ऑडरिंग पर आधारित होती है।
ऐसी इन्डिसिस, वेल्यू की सॉर्टेड ऑडरिंग पर आधारित होती है।
2.हैश इन्डिसिस-
ऐसी इन्डिसिस बकेट के चारों ओर यूनिफॉर्मली फैलाई जा रही वेल्यूस पर आधारित होती है।
ऐसी इन्डिसिस बकेट के चारों ओर यूनिफॉर्मली फैलाई जा रही वेल्यूस पर आधारित होती है।
बी-ट्री इण्डेक्स फाईल
बी-ट्री का सबसे अधिक उपयोग ऐसे स्ट्रक्चर के लिए होता है, जो इन्सर्शन और डिलिशन के बावजूद अपनी कार्यकुशलता बनाए रखते हैं। एक बी-ट्री, एक बेलेन्स्ड ट्री का रूप ले लेती है, जिसमें ट्री की रूट से उसकी लीफ तक हर रास्ते की लंबाई समान होती है।
बी-ट्री का सबसे अधिक उपयोग ऐसे स्ट्रक्चर के लिए होता है, जो इन्सर्शन और डिलिशन के बावजूद अपनी कार्यकुशलता बनाए रखते हैं। एक बी-ट्री, एक बेलेन्स्ड ट्री का रूप ले लेती है, जिसमें ट्री की रूट से उसकी लीफ तक हर रास्ते की लंबाई समान होती है।
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